भारत में निर्यात को बढ़ावा देने और निर्यातकों को लाभ प्रदान करने के लिए, सरकार कुछ विशेष प्रक्रियाएं अपनाती है। इनमें से एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है फॉर्म-डी, जिसे आमतौर पर एसआईआर फॉर्म (SIR – Setcounter Invoice of Realisation Form) के नाम से जाना जाता है। यह एक घोषणा पत्र है जो निर्यातक द्वारा भरा जाता है।
फॉर्म-डी (एसआईआर फॉर्म) क्या है और इसका उद्देश्य
फॉर्म-डी मुख्य रूप से निर्यातकों द्वारा अपने बैंक को दी जाने वाली एक घोषणा है। इसे निर्यात लेनदेन से संबंधित विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा) प्राप्ति की जानकारी देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
मुख्य उद्देश्य:
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यह सुनिश्चित करना कि निर्यातक द्वारा विदेशी खरीदार से प्राप्त निर्यात राशि बैंक के माध्यम से भारत वापस लाई गई है।
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को देश में विदेशी मुद्रा के प्रवाह की निगरानी में सहायता करना।
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निर्यात सौदों की प्रामाणिकता और पारदर्शिता बनाए रखना।
फॉर्म-डी कौन भरता है और कब?
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कौन भरता है: कोई भी भारतीय व्यक्ति, फर्म या कंपनी जो वस्तुओं या सेवाओं का निर्यात करती है।
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कब भरना जरूरी है: निर्यात शिपमेंट भेजने के बाद, जब विदेशी खरीदार से भुगतान प्राप्त हो जाता है। निर्यातक को यह फॉर्म अपने बैंक में जमा करना आवश्यक होता है।
फॉर्म-डी डाउनलोड कैसे करें?
आप इस फॉर्म को निम्नलिखित स्रोतों से आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं:
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आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के विदेशी मुद्रा प्रबंधन विभाग (FEMA) से संबंधित अनुभाग में फॉर्म उपलब्ध हो सकते हैं।
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अपने बैंक की वेबसाइट: अधिकांश प्रमुख बैंक (जैसे SBI, ICICI, HDFC, Axis Bank) अपनी वेबसाइट के ‘ट्रेड फाइनेंस’ या ‘फॉर्म’ सेक्शन में फॉर्म-डी की PDF प्रति प्रदान करते हैं।
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विश्वसनीय व्यावसायिक पोर्टल: कई वित्तीय व सरकारी सूचना वेबसाइटों पर यह फॉर्म मुफ्त में डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।
नोट: सदैव नवीनतम और आधिकारिक PDF संस्करण डाउनलोड करने का प्रयास करें।
फॉर्म-डी भरने का स्टेप-बाई-स्टेप तरीका
फॉर्म में निम्नलिखित मुख्य जानकारी भरनी होती है:
भाग A: निर्यातक का विवरण
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निर्यातक का नाम, पता और संपर्क विवरण।
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आयात-निर्यात कोड (IEC) नंबर।
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बैंक का नाम और शाखा जहां विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई है।
भाग B: निर्यात लेनदेन का विवरण
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निर्यात सुपुर्दगी पत्र (बिल ऑफ एक्सपोर्ट/शिपिंग बिल) नंबर और तारीख।
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विदेशी खरीदार (आयातक) का नाम और पता।
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निर्यात की गई वस्तुओं का विवरण और मात्रा।
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चालान मूल्य (Invoice Value): वस्तुओं का कुल मूल्य जिस पर निर्यात किया गया।
भाग C: विदेशी मुद्रा प्राप्ति का विवरण
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प्राप्त विदेशी मुद्रा की राशि (मूल मुद्रा और भारतीय रुपये दोनों में)।
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प्राप्ति का तरीका (जैसे टीटी, बैंक ड्राफ्ट, एलसी)।
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विदेशी मुद्रा प्राप्त होने की तिथि।
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बैंक द्वारा जारी विनिमय दर (एक्सचेंज रेट)।
भाग D: घोषणा और हस्ताक्षर
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निर्यातक द्वारा यह घोषणा कि दी गई सभी जानकारी सही है।
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अधिकृत हस्ताक्षर, नाम, पदनाम और मुहर।
फॉर्म जमा करने और अन्य महत्वपूर्ण बातें
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जमा करना: भरा हुआ और हस्ताक्षरित फॉर्म उस बैंक शाखा में जमा करें जहां विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई थी। अक्सर इसके साथ संबंधित निर्यात दस्तावेजों (जैसे चालान, शिपिंग बिल की कॉपी) की आवश्यकता होती है।
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समय सीमा: आमतौर पर विदेशी मुद्रा प्राप्ति के 21 दिनों के भीतर फॉर्म जमा करना चाहिए।
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आवश्यक दस्तावेज: फॉर्म के साथ मूल चालान, शिपिंग बिल/बिल ऑफ एक्सपोर्ट की प्रति, और बैंक प्राप्ति प्रमाण (फॉरेन इनवर्ड रिमिटेंस सर्टिफिकेट) संलग्न करने होते हैं।
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नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट: बैंक फॉर्म सत्यापित करने के बाद एक ‘नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ जारी कर सकता है, जो निर्यात पूर्ण होने का प्रमाण है।
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गलत जानकारी का दंड: फॉर्म में जानबूझकर गलत जानकारी देना या विदेशी मुद्रा प्राप्ति छिपाना FEMA अधिनियम के तहत दंडनीय है।
निष्कर्ष
फॉर्म-डी (एसआईआर फॉर्म) भारत में निर्यात प्रक्रिया का एक अनिवार्य और विनियामक दस्तावेज है। इसे सही ढंग से और समय पर भरना व जमा करना हर निर्यातक की कानूनी जिम्मेदारी है। यह न केवल नियमों का पालन सुनिश्चित करता है बल्कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन में भी मदद करता है।
FAQ
1. फॉर्म-डी (SIR फॉर्म) क्या है?
फॉर्म-डी, जिसे आमतौर पर SIR (Setcounter Invoice of Realisation) फॉर्म के नाम से जाना जाता है, निर्यातकों द्वारा भरा जाने वाला एक घोषणा पत्र है। यह निर्यातक द्वारा अपने बैंक को दी जाने वाली एक घोषणा है जिसमें निर्यात लेनदेन से संबंधित विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा) प्राप्ति की जानकारी दी जाती है।
2. फॉर्म-डी भरने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि निर्यातक द्वारा विदेशी खरीदार से प्राप्त निर्यात राशि बैंक के माध्यम से भारत वापस लाई गई है। यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को देश में विदेशी मुद्रा के प्रवाह की निगरानी में सहायता करता है और निर्यात सौदों की प्रामाणिकता व पारदर्शिता बनाए रखता है।
3. फॉर्म-डी कौन भरता है और इसे कब भरना आवश्यक है?
कोई भी भारतीय व्यक्ति, फर्म या कंपनी जो वस्तुओं या सेवाओं का निर्यात करती है, उसे यह फॉर्म भरना होता है। इसे निर्यात शिपमेंट भेजने के बाद, जब विदेशी खरीदार से भुगतान प्राप्त हो जाता है, तब निर्यातक को अपने बैंक में जमा करना आवश्यक होता है।






